2.5.14

नाम

कल दोपहर उसका ख़त आया. आया क्या मानो साथ सूटकेस में कुछ सवेरे भर लाया. लिफाफे के बाहर बस उसका नाम लिखा था. नाम को सहलाया, उसकी खुशबू को सांसों में बाँधा. लिफाफा खोला तो  भीतर एक पर्ची थी जिसपे बस इत्ता लिखा था- "अपना नाम भेज रहा हूँ. गर पसंद आये तो अपने नाम से जोड़ लेना."   

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