सड़क के एक ओर साइकल के अस्थि पंजर इस तरह बिखरे थे मानो कोई नाराज़ बच्चा अपने खिलौने फेंक कर आगे बढ़ गया हो. थोड़ा आगे वो खुद, किसी टूटे हुए सस्ते गुड्डे सा बिखरा था. ट्रक उसे शायद अपने साथ कुछ दूर खींचता ले गया था. उसके मांस के लोथड़े बिखर के उस हैदराबादी बिरयानी में गडमड हो चुके थे, जो वो डिलीवर करने जा रहा था.
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