13.8.14

पटखनी

ज़िंदगी बड़ी कमीनी है. आपकी सफलता, बैंक बैलेंस, प्रतिभा या लोकप्रियता भी इस बात की गारंटी नहीं कि भीतरी मौसम शांत हो. सबके कंधे पे कोई न कोई वेताल लदा है जो उसके कानों में क्या अनर्गल बकता है इसकी किसी दुसरे को भनक भी नहीं. तो चलिये, आज घर जा के अपने बच्चों को गाढ़ी सी झप्पी दें. उन्हें बताएं कि वे हमें कितने प्यारे हैं. बीबी को ध्यान से देखें, उसकी दिन-प्रतिदिन की हज़ारों छोटी-बड़ी उदारताओं को याद करें, और प्यार से शुक्रिया कहें. छोटी छोटी बातों पे छोटे से छोटे लम्हों की भी बलि न चढ़ाएं. क्या पता ज़िंदगी किस घड़ी पटखनी दे के चारों खाने चित्त कर दे और फ़िर मौक़ा ही न मिले.

1 comment:

Samant bhatt said...

पटखनपटखनी