घनश्याम नामक घोंघे का घर एक घराट के दांतों के बीच था. जब घराट ऊपर आता तो घनश्याम धूप में गोल गोल गरबा कर के अपनी पूँछ के लेस से लवली लवली डिजाईन बनाता. कभी कविता करता कभी गीत गुनगुनाता, कभी नहर के तीरे टहनी पे रेंगती घोंघन से अपने डंठल पे टंगे बटननुमा नैन लड़ाता. और फिर घराट का चक्का गड़प कर के नहर में समा जाता. घनश्याम घोंघा सांस रोक कर घोंघों के मसीहा घोंघेश का नाम जपता, लसलसे आंसू बहाता और अपने सुसाइड पत्र पर दस्तखत करने की प्रैक्टिस करता. इससे पहले की फेफड़े धन्यवाद कर के पिचक जाएँ, घराट फिर पानी के ऊपर आ जाता. मतलब लाइफ सेट थी.
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