जब दो शख्स तारों के महीन काम वाली आसमानी छत के तले ज़मीन के हरे बिछौने पे लेट, या कविता की केसर छिड़के बिना सीधा-सूखा कहें तो किसी सीलन वाली छत के तले बुसी चादर पे लेट एक सपना देखते हैं, जब उनमें से एक शख़्स (यानी मर्द) सपना सच होने से पहले ऊब के या रूठ के अनायास उठ के चल देता है, जब उस अधखिले सपने का ठूंठ उस पीछे छूटे शख्स (यानी मादा) में जमा रह जाता है, तब उस ठूंठ को जड़ सहित बाहर निकालने का, अधूरे प्यार का मलबा साफ़ करने का काम औरांग का है.
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