9.10.14

चितकबरे मंसूबे

औरांग की नीयत सुफ़ेद है, क़िस्मत काली, और मंसूबे चितकबरे. उसकी आँखें हल्की भूरी हैं. औरांग के कपड़ों पे नायलोन का मुलम्मा चढ़ा है, और पंखों पे तांबे के तार लिपटे हैं. उसे आप अक्सर शहर के किसी नीम-सुनसान मॉल में अकेला मुस्कराता गुनगुनाता घूमता पायेंगे, कभी मसाला कॉर्न फांकता, कभी खिडकियों में झांकता, कभी तितलियों को ताकता. औरांग को विरासत में सतरंज के प्यादे सी आत्मघाती वफादारी मिली है, बरसाती मेंढक सा बरसात ख़तम होने की चिंता से अछूता उत्साह, बौलीवुड के विलन सा वेलापन और सपरेटा दूध में भीगे चेतन भगत ब्रांड के कॉर्न फ्लेक्स सा हल्कापन.

No comments: