कल शाम जागर सुन रहा था. जागर यानी उत्तराखंड में संगीतमय कथावाचन के द्वारा पहाड़ों के सुप्त देवताओं को जगाने की प्रथा.
सुबह गुलज़ार और जगजीत सिंह का 'तेरे बयान ग़ालिब' सुना तो लगा ये भी एक तरह का जागर ही तो है. ग़ालिब की चिट्ठियां, ग़ालिब के किस्से, ग़ालिब की कलमकारी गुलज़ार की जुबानी सुन के ऐसा लगा दोनों चचा गाड़ी में बगल में बैठे जलेबी सी लच्छेदार बातें तल रहे हों. अच्छा हुआ गुलज़ार चचा ग़ालिब के पैगम्बर बन गए, वरना हम कैसे पहचान करते चचा ग़ालिब से, उनकी नीमतल्ख़ नीम-मीठी कलम से, मौत और ज़िंदगी से उनकी तीनतरफ़ा आशिक़ी याने लव ट्रायंगल से, दोज़ख-बहिश्त के बीच की चौखट पे रखी उनकी आरामकुर्सी से, आम और ज़ाम से उनकी ज़बरदस्त मोहब्बत से.
शुक्रिया गुलज़ार चचा, जब आप के सर पे चचा ग़ालिब चढ़ के बोलते हैं तो कसम से आपसे हमारा प्यार भी और परवान चढ़ जाता है.
सुबह गुलज़ार और जगजीत सिंह का 'तेरे बयान ग़ालिब' सुना तो लगा ये भी एक तरह का जागर ही तो है. ग़ालिब की चिट्ठियां, ग़ालिब के किस्से, ग़ालिब की कलमकारी गुलज़ार की जुबानी सुन के ऐसा लगा दोनों चचा गाड़ी में बगल में बैठे जलेबी सी लच्छेदार बातें तल रहे हों. अच्छा हुआ गुलज़ार चचा ग़ालिब के पैगम्बर बन गए, वरना हम कैसे पहचान करते चचा ग़ालिब से, उनकी नीमतल्ख़ नीम-मीठी कलम से, मौत और ज़िंदगी से उनकी तीनतरफ़ा आशिक़ी याने लव ट्रायंगल से, दोज़ख-बहिश्त के बीच की चौखट पे रखी उनकी आरामकुर्सी से, आम और ज़ाम से उनकी ज़बरदस्त मोहब्बत से.
शुक्रिया गुलज़ार चचा, जब आप के सर पे चचा ग़ालिब चढ़ के बोलते हैं तो कसम से आपसे हमारा प्यार भी और परवान चढ़ जाता है.
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