4.11.14

खामोशी के प्रकार

दुनिया में कई तरह की खामोशी पाई जाती है. बाईस तेईस प्रकार तो औरांग खुद गिन चुका है. जैसे वो जो कोई भारी चीज़ ड्रैग कर के ऊपर ला रही है, थक कर पल दो पल रुकती है कभी, सीढियां ख़तम ही नहीं होतीं. या वो खामोशी जो काली दीवारों वाले अँधेरे कमरे में काले कपडे पहने, भ्रूण की तरह खुद को सिकोड़े, सर घुटनों में घुसाए लेटी है, आँखें बंद किये जाग रही है, सालों से. या फिर वो खामोशी जो किसी हिल स्टेशन के लवर्स पॉइंट पर बैठी है, अकेली, टाँगे बाहर लटकाए, कोहरे में डूबी वादी दूध की झील सी दीखती है. एक खामोशी वो भी है जो बिस्तर में लेटी है, दूसरी खामोशी का हाथ थामे, शब्द बिस्तर के पायताने पे खुले बिखरे पड़े है. और वो खामोशी जो अनजान शहर में टहल रही है, ओवरकोट की जेब में हाथ घुसाए, कौलर चढ़ाए, दुकानों और घरों की खिडकियों को आँखों से टटोलती. औरांग एक डायरी में इन सब खामोशियों के नाम दर्ज़ कर रहा है, खामोशी से.                    

No comments: